एक जानिब शम्मे-महफ़िल एक जानिब शम्मे-महफ़िल एक जानिब रूहे-जाना गिरता है देखें कहाँ परवाना एक जानिब शम्मे-महफ़िल एक जानिब शम्मे-महफ़िल एक जानिब रूहे-जाना गिरता है देखें कहाँ परवाना एक जानिब शम्मे-महफ़िल एक सू एक शोला चरागों की अंजुमन में एक सू रंगे-जलवा किसी बुत के बाकपन में एक शोला एक जलवा और इनमें एक दीवाना एक जानिब शम्मे-महफ़िल एक जानिब रूहे-जाना गिरता है देखें कहाँ परवाना एक जानिब शम्मे-महफ़िल उसकी क्या है मंजिल नहीं इतना बेखबर भी आया दिलबरों में तो हैं काफी एक नज़र भी इन नज़रों को यारों क्या जानूँ मैं अंजाना एक जानिब शम्मे-महफ़िल एक जानिब रूहे-जाना गिरता है देखें कहाँ परवाना एक जानिब शम्मे-महफ़िल क्या-क्या रंग निकले हसीनों की सादगी से इतनी है शिकायत के मिलते हैं अज़नबी से जो ऐसा बेपरवाह क्या उससे दिल उलझाना एक जानिब शम्मे-महफ़िल एक जानिब रूहे-जाना गिरता है देखें कहाँ परवाना एक जानिब शम्मे-महफ़िल एक जानिब रूहे-जाना गिरता है देखें कहाँ परवाना एक जानिब शम्मे-महफ़िल